Tuesday 29 August 2017

एक पक्ष - चोटी कटवा

भारत में राष्ट्रवाद पुरे जोश से लवरेज है, युवा, प्रोढ़ , महिला , बालिका कोई इससे अछूता नहीं है | इस राष्ट्रवाद की गूंज इतनी तेज है चीन की दिवार पार कर चीनी पत्राकारो  के कान में पड़  गई | रक्षा बंधन पर चीनी रखियो का बहिष्कार माताओ एवं बहिनो ने किया तो पुरुष भी समाज में स्वदेशी जागृति से दूर नहीं थे | 
ऐसे में महिलाओ की चोटी कटने की खबर इस तरह चल पड़ी जैसे कोई नया आविष्कार हुआ हो | मीडिया ने भी इस खबर को भरपूर बाजार में बनाये रखा और अंधविश्वास के चादर से इसे भुत प्रेत की कहानी से जोड़ दिया |  दो महीने बाद नीमच, मध्य प्रदेश की पुलिस एक सर्वे के माध्यम से ये खुलासा करती है की जितनी भी महिलाओ से सम्पर्क  किया गया उन्होंने अपनी चोटी फैशन के चलते स्वयं काटी है एवं इनमे सभी महिलाए कम पढ़ीलिखी है | 
राष्ट्रवाद की आंधी रुकने का नाम नहीं ले रही है , कोनसी युक्ति प्रयुक्ति कर समाज को तोड़ा जाए एवं समाज का राष्ट्र वाद से मोह भंग कर पाश्चत्य संस्कृति की और धकेला जाये, खुलेपन व स्वतंत्रता के नाम पर जिन्होंने  स्वयं की चोटी काटी है उनके पीछे कई ताकते है जो राष्ट्रवाद को स्वतंत्रता व अंधविश्वास के नाम से चुनौती देने का प्रयास कर रही है | 

शेष अगले ब्लॉग में | 

राहुल राठौड़ 
उदयपुर, राजस्थान