Sunday 17 July 2016

एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति: We All Are Hindus Now

इन दिनों आतकंवाद चर्म पर है ये खबरे पुर अंतराष्ट्रीय मीडिया में बनी हुई है। आज आतंकवाद का दंश अन्य देशो को भी समज में आ रहा है। हाल ही की बांग्लादेश देश की घटना जिसने इस्लामिक देश को भी अनेक सन्दर्भ में विचार करने को विवश कर दिया है। उसी विवशता में से निकल के आया ज़ाकिर नाईक का नाम एवं उसके अनेक उपक्रमों पर प्रतिबन्ध लगाने का उपाय। तब भारतीय मीडिया ने ज़ाकिर नाईक के कई कार्यक्रमों के अंशो को प्रसारित किया, समज में ये आया की वह मूलतः हिन्दू धर्म का अनर्गल प्रचार करता एवं हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना ही उसका एकमात्र ध्येय है। कई बार वह वेदों की गलत व्याख्या कर अपना हित शाधता है। एक कायर्क्रम में वह ऋगवेद के श्लोक "एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति" की गलत व्याख्या करता दिखा। इसी गलत व्याख्या से लोगो को उकसाता एवं हिन्दू धर्म की बुराई करता दिखा।
ऐसे में मुझे प्रख्यात अमेरिकी लेखिका एवं पत्रकार का स्मरण हुआ,जिन्होंने इसी श्लोक को सही अर्थ में समजकर एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था "अब हम सभी हिन्दू है" (We All Are Hindus Now). उनके लेख के कुछ अंश यह है-
"The Rig Veda, the most ancient Hindu scripture, says this: 'Truth is One, but the sages speak of it by many names.' A Hindu believes there are many paths to God. Jesus is one way, the Qur'n is another, yoga practice is a third. None is better than any other; all are equal. The most traditional, conservative Christians have not been taught to think like this. They learn in Sunday school that their religion is true, and others are false. Jesus said, 'I am the way, the truth, and the life. No one comes to the father except through me.'"
यह लेख अमेरिकी पत्रिका न्यूज़वीक में 15 अगस्त 2009 को छपा था।
लेखिका ने बताया है की इसी श्लोक से उन्हें ये लेख लिखने की प्रेरणा मिली। इस श्लोक का अर्थ हे स्तय एक है, ईश्वर एक है और उसे प्राप्त करने के कई रास्ते है, कई पूजा पद्धति है। कोई की पद्धति किसी से कम या नीची नहीं हे, सभी रास्ते एक समान है। और यही सनातन धर्म का सार है। किन्तु अन्य धर्मो में सिखाया गया में ही श्रेष्ठ हु, मुझसे बड़ा कोई नहीं।
हैरिस पोल के 2008 के आकड़ो पर ध्यान दे तो 24 प्रतिशत अमेरिकी पुर्नजन्म में विशवास रखते है ये आकड़ा सन 1975 में मात्र 6 प्रतिशत था।
ऐसे में कोई ज़ाकिर नाईक को बतावे की जिन श्लोको व् ज्ञान को प्राप्त कर अमेरिका हिन्दू धर्म की और जा रहे है व अंतराष्ट्रीय मीडिया में खुलकर सनातन धर्म के पक्ष में लिख रहे है, ऐसे में वेदों की गलत व्यख्या करके कुछ प्राप्त नहीं होगा।
राहुल राठौड़
Rahulrajrathore@gmail.com.